अदालत ने एक अहम मामले में चिट्टा रखने के दोषी को 10 वर्ष के कठोर कारावास के साथ एक लाख के जुर्माने की सजा सुनाई है।
विशेष न्यायाधीश-1 मंडी की अदालत ने एक अहम मामले में चिट्टा रखने के दोषी को 10 वर्ष के कठोर कारावास के साथ एक लाख के जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माना नहीं देने पर दोषी सुभाष चंद पुत्र सीता राम, निवासी धौंन कोठी बिलासपुर को तीन वर्ष का अतिरिक्त साधारण कारावास भुगतना होगा। मामले की जानकारी देते हुए जिला न्यायवादी मंडी एवं विशेष लोक अभियोजक विनोद भारद्वाज ने बताया कि 17 दिसंबर 2023 को विशेष अनवेक्षण इकाई मंडी ने पुंघ सुंदरनगर में नाका लगाया था और सभी आने-जाने वाली छोटी-बड़ी गाड़ियों को चेक किया जा रहा था। उसी समय सलापड़ की तरफ से मंडी की तरफ एक निजी वोल्वो बस एचआर 68 बी 2908 आई, जिसे पुलिस की ओर से चेकिंग के लिए रोका गया । चेकिंग के दौरान सभी सवारियों के सामान को चेक किया जा रहा था।
जैसे ही पुलिस सीट संख्या 37 पर गोद में बैग पकड़े हुए बैठे व्यक्ति का सामान चेक करने पहुंची तो वह घबरा गया। पुलिस टीम की ओर से पूछने पर कोई भी संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाया। इस पर पुलिस को उस पर कुछ संदेह हुआ। इसी संदेह के आधार पर व्यक्ति की तलाशी लेने के लिए सभी आवश्यक औपचारिक्ताओं को पूरा किया गया। गवाहों के समक्ष सीट 37 पर बैठे हुए व्यक्ति की गोद में रखे हुए बैग की तलाशी ली गई तो उसमें से एक पॉलिथीन पाउच मिल जिसे खोलकर देखा गया तो उसमें हेरोइन/चिट्टा पाया गया, जिसका कुल भार 258 ग्राम था । इस मामले में जांच पूरी होने पर थाना अधिकारी ने मामले के चालान को न्यायालय में पेश किया । इस मामले का प्राथमिक परीक्षण विशेष न्यायाधीश –सुंदरनगर के न्यायालय में चल रहा था लेकिन उच्च न्यायालय हिमाचल प्रदेश ने अधिसूचना जारी की थी कि नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रोपिक पदार्थ (एनडीपीएस) के बड़ी मात्रा वाले जीतने भी मामले हैं, उन सभी का परीक्षण मंडलीय स्तर पर ही होना चाहिए, जिस कारण से यह मामला विशेष न्यायाधीश मंडी-1 को प्राप्त हुआ था।
जिला न्यायवादी ने यह भी बताया कि मौके से जो चिट्टा बरामद किया गया था उसका भार 258 ग्राम था तथा बाद में माल सूची कार्यवाही की गई तो इसका भार 256 ग्राम पाया गया। न्यायलयिक विज्ञान प्रयोगशाला में इसका वास्तविक भार 249 ग्राम पाया गया था, जिसके आधार पर विशेष न्यायाधीश सुंदरनगर ने अभियुक्त को जमानत पर रिहा कर दिया था । जब यह मामला विशेष न्यायाधीश मंडी-1 को प्राप्त हुआ था तो उस वक्त दोषारोपण को संशोधित किया गया था। मामले के परीक्षण के दौरान दोषी फरार हो गया था जिसे बाद में फिर से हिरासत में लिया गया था। जिला न्यायवादी ने बताया कि इस मामले में अभियोजन पक्ष ने न्यायालय के समक्ष 21 गवाह पेश किए । जिनकी गवाही को सही मानते हुए और दोनों पक्षों के तर्क-वितर्क को सुनने के बाद न्यायालय ने इस मामले में उक्त दोषी को नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रोपिक पदार्थ अधिनियम (एनडीपीएस) की धारा 21 (बी) के तहत 10 वर्ष के कठोर कारावास के साथ एक लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई। यदि दोषी जुर्माना देने में असफल रहता है तो उसे तीन वर्ष का अतिरिक्त साधारण कारावास भुगतना होगा।
दोषी को सजा सुनते समय न्यायालय ने जब दोनों पक्षों की दलीलों को सुना तो अभियोजन पक्ष की तरफ से यह विशेष दलील दी गई कि यह अपराध समाज के खिलाफ है और युवा पीढ़ी को पतन की ओर धकेल रहा है, इस मामले को अधिक प्रभावी बनाने के लिए अभियोजन पक्ष ने न्यायालय के समक्ष उच्च न्यायालय की ओर से निर्णित सोनू बनाम हिमाचल प्रदेश सरकार फैसले का उदाहरण पेश करते हुए मामले में कड़ी सजा की मांग की थी । उन्होंने यह भी बताया कि यह मंडी जिले में चिट्टे की का ऐसा पहला मामला है, जिसमें दोषी से बड़ी मात्रा में चिट्टा बरामद हुआ है । यह मात्र इतनी बड़ी है कि इससे लगभग 2500 लोगों को नशे की लत लगाई जा सकती थी। जिला न्यायवादी ने यह भी कहा कि चिट्टे जैसा नशा हमारी युवा पीढ़ी को दीमक की तरह भीतर ही भीतर खोखला कर रहा है, यह एक इस किस्म का नशा है जो एक बार इसको इस्तेमाल करता है तो वह हमेशा के लिए इसके चंगुल में फंस जाता है । यह मामला न केवल एक अपराधी को सजा दिलाने के रूप में महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज में नशे के खिलाफ एक कड़ा संदेश देने का कार्य भी करता है । जिला न्यायवादी मंडी एवं विशेष लोक अभियोजक विनोद भारद्वाज ने इस मामले का अभियोजन किया।