हिमाचल हाईकोर्ट का बड़ा आदेश: दो साल से कम सजा वाले अपराध में पासपोर्ट जारी करने की अनुमति

हिमाचल हाईकोर्ट ने कहा कि दो साल से कम अपराध वाले जुर्म में अगर कोई व्यक्ति विदेश में रोजगार या किसी और कारण से जा रहा है तो उसको मौलिक अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता।


हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने दो साल से कम सजा वाले अपराध में दोषी करार याचिकाकर्ता को पासपोर्ट जारी करने के आदेश दिए हैं। न्यायाधीश रंजन शर्मा की अदालत ने पासपोर्ट प्राधिकरण को आदेश दिए हैं कि तीन सप्ताह के भीतर पासपोर्ट को रिन्यू करने की प्रक्रिया पूरी की जाए। अदालत ने साथ ही याची पर कुछ शर्तें लगाई हैं और कुछ निर्देश दिए हैं कि वह अपने पासपोर्ट के नवीनीकरण के बाद विदेश जाने से पहले संबंधित ट्रायल कोर्ट और पुलिस को अपनी पूरी जानकारी सौंपे। अदालत ने कहा है कि दो साल से कम अपराध वाले जुर्म में अगर कोई व्यक्ति विदेश में रोजगार या किसी और कारण से जा रहा है तो उसको मौलिक अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता।

अदालत ने यह आदेश एक व्यक्ति की ओर से दायर याचिका पर दिया। याचिका में कहा गया है कि पुलिस ने वेरिफिकेशन रिपोर्ट में कहा कि याचिकाकर्ता अंडर ट्रायल है, जिसकी वजह से पासपोर्ट प्राधिकरण ने उसका पासपोर्ट जारी करने से यह कहते हुए इन्कार कर दिया है कि निचली अदालत ने उसे दोषी करार दिया है, जिसकी वजह से याचिकाकर्ता विदेश नहीं जा पा रहा है। इसी के खिलाफ याचिकाकर्ता ने अदालत में याचिका दायर की है।



उल्लेखनीय है कि याचिकाकर्ता पर वर्ष 2004 में आईपीसी की धारा 279 और 339 के तहत एक एफआईआर दायर की गई थी। वर्ष 2012 में इसे ट्रायल कोर्ट ने सजा सुनाई। इसके बाद इस सजा के खिलाफ अपील दायर की गई। अब इस मामले में हाईकोर्ट में क्रिमिनल रिवीजन लंबित पड़ी है। अदालत ने साफ कहा है कि कानून के तहत दो साल से कम सजा वाले मामलों में अगर कोई रोजगार और किसी अन्य कारणों की वजह से विदेश जाना चाहता है, तो यह उसका मौलिक अधिकार है। भारत सरकार की अधिसूचना में यह साफ कहा गया है कि ऐसे आपराधिक मामलों में अपराधी बिना कोर्ट की अनुमति से बाहर नहीं जा सकते हैं। जिन व्यक्तियों पर अभियोग चल रहा है या दोषी करार दिए हैं। ऐसे मामलों में उन लोगों को विदेश जाने के लिए अदालत की मंजूरी लेना अति आवश्यक होता है।

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