गर्मियों की छुट्टियों का सीज़न शुरू होते ही हिमाचल प्रदेश एक बार फिर सैलानियों की पसंदीदा जगह बन गया है। खासकर शिमला और आसपास के इलाकों में पर्यटकों की भारी भीड़ देखी जा रही है, जिससे होटल्स में ऑक्यूपेंसी 80% तक पहुंच गई है। हालांकि, इस बढ़ती भीड़ ने कई समस्याओं को भी जन्म दिया है, जिनमें सबसे बड़ी परेशानी है ट्रैफिक जाम और टोल टैक्स में की गई बढ़ोतरी।

पर्यटकों की भीड़ और लंबा ट्रैफिक जाम
हिमाचल के प्रवेश द्वार परवाणू टोल प्लाज़ा और कालका-शिमला नेशनल हाईवे पर घंटों लंबा ट्रैफिक जाम देखने को मिल रहा है। पर्यटन सीज़न की शुरुआत के साथ ही पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और चंडीगढ़ से बड़ी संख्या में लोग हिमाचल का रुख कर रहे हैं। इसके कारण स्थानीय लोगों और पर्यटकों दोनों को ही परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
शिमला शहर में चल रहे स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के कारण पार्किंग की समस्या और बढ़ गई है। सड़क किनारे वाहन खड़े होने से ट्रैफिक की रफ्तार और धीमी हो गई है।
टोल टैक्स में बढ़ोतरी से पर्यटन उद्योग परेशान
1 अप्रैल 2025 से हिमाचल सरकार ने राज्य के 55 टोल बैरियर्स पर शुल्क बढ़ा दिया है। अब निजी वाहनों को ₹60 के बजाय ₹70 चुकाने पड़ रहे हैं, जबकि व्यावसायिक वाहनों पर ₹10 से ₹20 तक की अतिरिक्त राशि लगाई गई है।
पर्यटन से जुड़े व्यवसायियों का कहना है कि यह बढ़ोतरी ऐसे समय में की गई है जब उद्योग अभी भी कोविड और प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव से उबरने की कोशिश कर रहा है। टूर ऑपरेटर्स के अनुसार, हर वाहन पर रोज़ाना ₹1000 तक का अतिरिक्त खर्च आ सकता है, जिससे छोटे व्यवसायों को नुकसान होगा।
लोगों की प्रतिक्रिया
पर्यटकों की राय इस मुद्दे पर बंटी हुई है। कुछ का मानना है कि अगर सड़कें और सुविधाएं बेहतर होती हैं तो अतिरिक्त शुल्क देना सही है, लेकिन कई लोगों का यह भी कहना है कि इससे हिमाचल यात्रा अब मंहगी हो गई है, जो बजट यात्रियों के लिए चिंता की बात है।
स्थानीय ट्रांसपोर्ट ऑपरेटरों और होटल संचालकों ने सरकार से टोल टैक्स में राहत या पर्यटन व्यवसाय के लिए कुछ राहत पैकेज की मांग की है।
आगे की राह
हिमाचल प्रदेश के लिए पर्यटन एक बड़ा आय का स्रोत है। ऐसे में सरकार और पर्यटन उद्योग से जुड़े सभी पक्षों को मिलकर ऐसे समाधान खोजने होंगे जिससे राज्य की खूबसूरती और आकर्षण भी बना रहे और पर्यटकों को सुविधा भी मिले।